मिथिलांचलक परिवेश में कतौ 'सरप्राइज' शब्द सूटेबल होई (ककरो वस्तुरुपी गिफ्ट देबय चाहै छी त ओ अपवाद छैक )। इ बात त हमरा पूर्वे सं बुझल छल आई पूर्ण रुपेन आश्वस्त केला हमर फेसबूकिया अराध्य प्रवीण जी 'सर'प्राइज दय के ।ओना त कतेको फेसबूकिया मित्र छैथ जिनका सं प्रत्यक्ष दर्शनक प्रतीक्षा में हम सालों स छी। मुदा हिनका सं भेट करबाक इच्छा किछु बेसिये अई। कै बेर भेंट करैत करैत चुकलौं हं ।काल्हुक घटना देखियौ समय लगभग 12:40 हम किछु आवश्यक काज स गामसं तीन-चैर किलोमीटर दुर रुपनगर में रही ।"praveen ji fb'' अही नम्बर सं फ़ोन अबैत अछि नमरे देख हम हिय हारलौं ।मोने मोने बडबडाइलौं -'करिह बड़का भेंट गेल एगो और मौका ' .फोन रिसीव केलों आवाज अबैछ "हेलो धीरज बजै छि ?हम प्रवीण"(एहने शब्दक इच्छा हम पूर्व में केने रही पूरा केलैन) .हम सकपकैत आवाज म 'हहं गोर लगै छी '.। शुरू भेलै सब बात हमरा अपेक्षा अनुसार(सिवाय एकरा जे भेंट होइतै )-"कतय छी? ?अहाँ के गाम मं छी जयंतीपुर रोड में हमर भाई सेहो संग छैथ " ।घोर निराशा के भाव में डूबकी लगबैत कहलियैन गाम सं किछु दूर रूपनगर में छी ।चूँकि बहुत व्यस्तता में छैथ से हमरा पूर्वे सं बुझल छल तैं एहेन आग्रह नै कय सकलहूँ जे 'रुकु ओतय 15-20 मिनट '। खैर दूई चैर मिनट मिनट केर बातचीत में आशवस्त केलेन जे भेटै छी रैब दिन । एकटा प्रतीक्षित भेंट किछ आओर दिनक प्रतीक्षा में बदली गेलै ।आ एकबेर आओर पुराण कहबी 'इन्तेजार की घड़ी लम्बी होती है'चरितार्थ भेलै।।वास्तव मं फेसबुक ओ स्थापित समाजक रुप लेने जा रहल छै जतुक कतेको काका भैया चाचा सं ओहि समाजक भाय भतीजा प्रत्यक्ष भेंट करय चाहैत छैक।।रोमियो सबहक सन्दर्भ में इ बात किछु बेसियन्त सूटेबल होइछ "आह इ मोहतरमा जं कहियो राज कैंपस या श्यामा माई मंदिर में भेट जैतैक" ।।.खैर हम त कुशल मंगल रहब त इ प्रतीक्षित भेंटक प्रतीक्षा रैब दिन समाप्त भ जेतैक । #प्रतीक्षितभेंट
08/04/2017
08/04/2017