Friday, May 24, 2019

धनकुट्टी के मशीन

नोट:-ये विशुद्ध व्यंग है! इसे सिर्फ के व्यंग्य रूप में लें।

'जाइ छियौ ससुरा जानू बाय-बाय-बाय
नै करिहें  हमरा  खातिर हाय हाय हाय
जीये के पड़तौ तोरा यब हमरा बिन
हाँ-हाँ
जीये के पड़तौ तोरा यब हमरा बिन 
'की तोरा ससुरा में-
तोरा ससुरा में जाइ के जान किनबौ जमीन,हम
ओहिजे चलैबौ धनकुट्टी के मशीन,
तोरा ससुरा में जाइ के जान किनबौ जमीन,हम
ओहिजे चलैबौ आटाचक्की के मशीन....

एक बात और गीत के कई पहलू और अर्थ होते हैं।
तो आइये इसी क्रम में एक गीत में छुपे हुए प्रेम-प्रगाढ़ को देखते हैं।

उपरोक्त पंक्ति में नायक-नायिका जो परस्पर प्रेमी-प्रेमिका है। दोनों के मध्य प्रेमिका के शादी के सँग ससुराल जाने के बाद की संभावित स्थिति पर बेहद भावुक और आँख में आँसू लाने वाले स्तर की चर्चा हो रही है।

चर्चा के क्रम में नायिका यानी प्रेमिका कहती हैं कि 'ऐ जान ये दिन हम दोनों के बीच आजतक चले इस प्रेम कहानी के समाप्ति का दिन है। हे मेरे परम् प्रिय प्रेमी आज मैं तुमको छोड़कर ससुराल जा रही हूं इसीलिए मेरा 'बाय बाय' को स्वीकार करो। साथ ही प्रेमिका को चिंता है कि प्रेमी कहीं इस जुदाई के असर में उसका वो प्रेमी पगला ना जाए सो आगे कह रही है कि 'मेरे जाने के बाद मेरे लिए हाय हाय' मत करना,अब तुम्हें मेरे बिना जीना है सो हे प्रिय जान अपना ख्याल रखना।

अब बातें प्रेमी के बर्दाश्त करने की क्षमता से बाहर जा रहा था सो वो प्रेमिका को बीच में रोकता है और कहता है 'हे मेरी प्राण प्यारी! हमने कभी तुमको देखे बिना अपने जीवन की कल्पना तक नहीं किया है। ऐ जान,तुम्हारी शादी हो गई तो ये तो तय है कि तुम ससुराल जाओगी ही लेकिन इस बात को मान लो कि जैसे किसी जीने के लिए ऑक्सीजन रूपी साँस की आवश्यकता है उसी प्रकार मेरे जिंदा रहने के लिए तुम्हें कम से कम प्रतिदिन तुम्हारा दर्शन अनिवार्य है। हे प्रिय मुझे इसका कोई उपाय नहीं दिख रहा था लेकिन अब मैंने सोचा लिया है कि क्या करना है। ऐ जानू,मैं तुम्हारे ससुराल में थोड़ा सा जमीन खरीदूँगा और फिर वहाँ धनकुट्टी और आटा-चक्की का मशीन स्थापित करूँगा। इससे कम से कम मुझे तुम्हारे पास रहने का अहसास होगा साथ ही किसी न किसी प्रकार से प्रतिदिन तुम्हारे दर्शन भी हो जाएंगे।


लेकिन प्रेमिका को प्रेमी के इस 'कांड' रूपी योजना में घोर खतरा दिख रहा है और वो आगे आग्रह करती है:-

'लेसन मोहब्बत वाला खतम करै जिये तूँ जिये दे न यार रे'
'केहू न जनतौ रोजे कोनो बहाना घर घुमि आइबौ तोहार गे'
'खुजि जेतै पोल हमर हो जइतै डरामा सखे मिलल छै
भतार रे'
'लुच्चा लफुआ के तोरा सासुर में बनाइ के रखबउ हम यार गे'
'करिहें ने कोनो किरियेट राजा सीन-
करिहें ने कोनो किरियेट राजा सीन'
'की तोरा ससुरा में- तोरा ससुरा में जाइ के जान किनबौ जमीन,हम
ओहिजे चलैबौ धनकुट्टी के मशीन-
तोरा ससुरा में जाइ के जान किनबौ जमीन,हम
ओहिजे चलैबौ आटाचक्की के मशीन'

प्रेमी के आटाचक्की लगाने के प्लान को सुनकर प्रेमिका के अंदर डर सा उत्पन्न हो गया है। वो जानती है कि प्रेमधुन में पगलाया हुआ प्रेमी आटाचक्की वाला प्लान को कहीं सच में एक्जक्यूट कर दिया तो उसके शादीशुदा जीवन पर कालातीत का प्रेम जीवन बहुत बुरा प्रभाव छोड़ेगा। वो इस क्रम में प्यार गुस्सा और आग्रह को समाहित करते हुए बोलती है- 'ऐ पगलाए हुए प्रेमी मेरी मजबूरी और स्थिति परिस्थिति को समझो, ऐ जानू अब तुम मोहब्बत के इस लेसन को अब खत्म करो इसी में तुम्हारी और हमारी भलाई है, जाओ तुम भी जियो और मुझे भी जीने दो क्योंकि तुम्हारे जिद की वजह से मेरी जिंदगी में भूचाल आ जाएगी।'

प्रेमी अचानक से बीच में रोकते हुए अपने फैसला के बचाव में तर्क देता है 'हे हमारी नहीं हो सकी पत्नी! तुम चिंता बिल्कुल भी ना करो हमारे इस प्रेम के बारे में किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, मैं प्रतिदिन तुम्हारे घर किसी न किसी बहाने तुम्हारे घर घूम आऊंगा,तुम चिंता ना करो जान वहाँ कोई प्रॉब्लम नहीं होगा।'


'अनिल यादव हमर नाम गे छियै धान कूटे यइबौ तोरा गाँव में-(बैकग्राउंड से हल्की आवाज में "त' आ जो न'')
घरवा के आटा पानी सब कुटनी पीसनी कैर देबौ फिरिये के भाव में'
'राइटर सोनू कियै हमरे प' तोहर बैस गेलौ कियै चाव रे-
हो जेतै यारिया बाबू ढेर बदनामी आ जइतै जदि हमर नाम रे- अंतरा प्रियंका कहे प्यार नाही छीन- अंतरा प्रियंका कहे प्यार नाही छीन'
'हे तोरा ससुरा में जाइ के जान किनबौ जमीन,हम
ओहिजे चलैबौ धनकुट्टी के मशीन
ओहिजे चलैबौ आटाचक्की के मशीन'
'ठीक छै,नै मनबै त' आ जइहें' (बेहद दबे हुए आवाज में)

अनबन और ना-नुकर के क्रम में बातचीत को और आगे बढ़ाते हुए प्रेमी अपने प्रेमिका को उसके ससुराल में अपना धनकुट्टी और आटाचक्की के मशीन को स्थापित होने से होने वाले आर्थिक फायदों के बारे में बताता है और कहता है 'हे मेरी शोना बाबु! अनिल यादव नाम है मेरा मैं जब तुम्हारे गाँव धान-गेंहू कूटने-पीसने आऊंगा तो इससे तुम्हें एक और फायदा होगा,बेबी मैं तुम्हारे घर का कुटनी-पीसनी का मुफ्त में कर दूँगा। ऐ जानु! मेरे इस प्रोजेक्ट के बहुमुखी और एक अनेक फायदे हैं। प्लीज तुम मान जाओ और मुझे अपने ससुराल में धनकुट्टी और आटाचक्की का मशीन लगाने का अल्लोवेंस दे दो।'

इतना समझाने के बाद भी नहीं मानने पर प्रेमिका खीझ जाती है। उसका दिमाग भन्ना जाता है और कहती है 'हे प्रियतम राइटर सोनु! (गीतकार का नाम होना जरूरी है इसीलिए ये नाम है,आपलोग अनिल यादव ही समझें) तुम्हें संसार में और कुछ क्यों नहीं दिखता है। तुम्हारा चाव सिर्फ मुझपर ही क्यों बैठा है। तुम क्यों नहीं समझ रहे हो कि जिस मेरा नाम तुम्हारे नाम के सँग आ जाएगा उस दिन ढेर सारा बदनामी हो जाएगा। हे मेरे दिल के टुकड़े मेले छोना बाबु! तुम्हारी जो ये प्रेमिका है 'अंतरा प्रियंका' इससे प्यार मत छिनो इसे बनाकर रखने दो मुझे, मैं तुमसे अंतिम विनती करता हूँ'
इन विनती भावों का प्यार में विक्षिप्त हो चुके प्रेमी पर कोई असर नहीं पड़ता है और वो पूर्व में कहे हुए अपनी बातों को डिट्टो रिपीट करता है 'ऐ पगली बेबी! मैं कुछ नहीं मानने वाला हूँ। मैं तुम्हारे ससुराल में जाकर जमीन खरीदूँगा और धनकुट्टी-आटाचक्की मशीन लगाऊंगा,हे मेरी गोली-मोली बाबु! तुम भी इसे मान लो।'

लाख मना करने और मनाने के असफल प्रयास के बाद प्रेमिका प्रेमी के सामने समर्पण में ही अपनी भलाई समझती है और बेहद हल्के और दबे हुए आवाज में ये कहते हुए इस मामले का पटाक्षेप करती है कि 'ठीक है मेले गोलु-मोलु-
नहीं मानोगे तो आ जाना ससुराल मेरे खरीद  लेना जमीन
फिर लगा लेना अपने धनकुट्टी और आटाचक्की का मशीन'

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