श्रीमान सांसद कीर्ति आजाद जी, जय मिथिला!
कल मैंने आपके एक गैरजिम्मेदाराना और आपत्तिजनक बयान के संदर्भ में आपको टैग करते हुए एक पोस्ट लिखा था। अच्छा लगा कि आपने वहाँ कमेन्ट कर के जवाब दिया और अपना पक्ष रखा। निश्चित तौर पर मैं इससे प्रभावित हुआ हूँ।
कल मैंने आपके एक गैरजिम्मेदाराना और आपत्तिजनक बयान के संदर्भ में आपको टैग करते हुए एक पोस्ट लिखा था। अच्छा लगा कि आपने वहाँ कमेन्ट कर के जवाब दिया और अपना पक्ष रखा। निश्चित तौर पर मैं इससे प्रभावित हुआ हूँ।
सबसे पहली बात की मैंने वह प्रश्न एक संगठन जो समस्त मिथिला क्षेत्र के विकास के लिए संघर्ष के रास्ते को चुनते हुए पिछले 4 साल से प्रयत्नशील है उस संगठन का एक जिम्मेदार पदाधिकारी और अपने गांव,क्षेत्र,समाज का एक जिम्मेदार युवा होने के नाते पूछा था। अतः आपके जवाब देने का लहजा आधिकारिक होना चाहिए था जो कि नहीं था।
खैर..
आपने अपने उक्त बयान का खंडन इस भावार्थ के सँग किया कि मैंने कहा था कि ''ये मेरे कार्यक्षेत्र में नहीं आता,मैं बड़े स्तर का नेता हूँ,मैं संसद में कानून बनाने के लिए और केंद्र सरकार के योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए हूँ,आप नीचे स्तर के नेता से इस विषय पर बात करिये,मैं अपने स्तर से प्रयास करूँगा''।
उक्त विषय पर जब मैंने रिकन्फर्मेशन के लिए पत्रकार महोदय से संपर्क किया तो उनका कहना था कि आपने जो और जितनी बातें कही है उतनी बातें तो हुई ही नहीं है।
उनके अनुसार उन्होंने जब आपसे इस विषय पर सम्पर्क किया तो आपने कहा कि ''ये मेरे स्तर का काम नहीं है, आप विधायक से संपर्क करिये, ये MP के लेवल का काम नहीं है, आपलोग राज्य सरकार से तो कुछ पूछते नहीं हैं और सिर्फ MP के पीछे लगे रहते हैं''!
उनके अनुसार उन्होंने जब आपसे इस विषय पर सम्पर्क किया तो आपने कहा कि ''ये मेरे स्तर का काम नहीं है, आप विधायक से संपर्क करिये, ये MP के लेवल का काम नहीं है, आपलोग राज्य सरकार से तो कुछ पूछते नहीं हैं और सिर्फ MP के पीछे लगे रहते हैं''!
यहाँ तक तो फिर भी ठीक था लेकिन आगे उन्होंने जब आपसे पूछा कि आगे लोकसभा चुनाव है तो क्या आप उनलोगों से मिलकर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास करेंगे? इसपर आपने कहा कि ''उन्हें नहीं देना वोट तो नहीं दे,मैं नही जाऊंगा वहाँ,किसे पड़ी है वोट की''।
नोट:-इस बात का प्रमाण कॉल रिकॉर्डिंग है।
खैर इस बात से आगे बढ़ते हैं कि आपसे क्या पूछा गया था और आपने क्या जवाब दिया था। इस मुद्दे को छोड़ते हैं। अब मैं आपके बातों को ही कोट करता हूँ आपका कहना है कि आप संसद में कानून बनाने के लिए और केंद्र सरकार के योजनाओं के क्रियान्वयन करने के लिए हैं ना कि इन छोटे मोटे कामों को करने के लिए तो जरा आपके ही इन बातों को आधार मानकर इस बात को परखा जाए कि आपने इन कानूनों का निर्माण कर और योजनाओं का क्रियान्वयन कर दरभंगा को विकास के किन पैमानों पर खड़ा उतार पाया है। आपने अपने प्रशस्ति गान के लिए विभिन्न विकास कार्यों का उल्लेख किया है।
तो जरा आपके ही इस विकास कार्यों के दूसरे पहलू पर नजर डालते हैं।
तो जरा आपके ही इस विकास कार्यों के दूसरे पहलू पर नजर डालते हैं।
श्रीमान क्या प्रयास किए हैं आजतक कि दरभंगा में नए-नए उद्योग धंधे लगे? क्या प्रयास किए हैं यहाँ के औद्योगीकरण के लिए? क्या प्रयास किए हैं कि यहां बंद पड़े सभी पुराने उद्योग धंधे उद्योग धंधे का रिवाइवल किया जाए और उसे फिर से शुरू किया जाए? क्या प्रयास किए हैं कि दरभंगा के लोगों को दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में जननायक,जनसाधारण,कर्मभूमि जैसी ट्रेनों में भेड़ बकरियों की तरह लदकर दिल्ली मुंबई पंजाब हरियाणा जैसे शहरों में धान काटने,धान रोपने,गेहूं काटने,सब्जी बेचने,वॉचमैन का काम करने,रिक्शा खींचने,ड्राइविंग करने जैसे काम ना करना पड़े? बल्कि वो अपने गांव,अपने समाज में अपने मां-बाप,बच्चे-बीवी के संग रहकर सपना जीवन यापन कर सके?
श्रीमान आप जिस दरभंगा का प्रतिनिधित्व करते हैं जरा जाकर मिलिये उस क्षेत्र के लोगों से पंजाब में जहां पर वह खेतों में धान काट रहे,गेहूं काट रहे हैं। जाकर मिलिये उनसे दिल्ली के सब्जी मंडी में जहां वह अपनी दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में ठेले लगाकर सब्जी बेच रहे होते हैं,मिलिये उनसे दिल्ली के उन सड़कों पर जहां वह अपने दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में हाथ रिक्शा खींच रहे होते हैं,घूमिये मुंबई की उन सड़कों पर जहाँ वह दो वक्त के रोटी के जुगाड़ में अपने घर परिवार से 2000 किलोमीटर दूर ऑटो रिक्शा चला रहा होता है,घूमिये मुंबई के होटलों में जहां वो वेटर की नौकरी करता है,जहाँ वो किसी सेठ का कार चला रहा होता है।
श्रीमान ऐसा क्यों है कि हमारे क्षेत्र के लोग पैदा होने के साथ ही इस बात को अपने दिलो दिमाग में बैठा लेते हैं कि बड़ा होकर यदि वह अच्छी शिक्षा ग्रहण करते हैं तो अच्छी नौकरी के लिए या अगर अच्छी शिक्षा नहीं ग्रहण कर पाते हैं तो जीवन यापन के लिए अर्थात परिस्थितियां कैसी भी हो उनको पलायन करना ही पड़ेगा। तू कि उनको पार के के उनको पार के के गांव भर समाज में उनके दरभंगा में आकर उनके जीवन यापन के लिए रोजगार का कोई व्यवस्था नहीं है।
यदि लोगों के दिलों दिमाग में यह बात नियति बन कर बैठा हुआ है तो उसके जिम्मेदार कौन है?
कौन समाप्त करेगा इसे?
हमें तो इस प्रश्न का जवाब चाहिए!
यदि लोगों के दिलों दिमाग में यह बात नियति बन कर बैठा हुआ है तो उसके जिम्मेदार कौन है?
कौन समाप्त करेगा इसे?
हमें तो इस प्रश्न का जवाब चाहिए!
श्रीमान आपने कहा आप कानून बनाने के लिए हैं हमें भी तो आपसे लीक से हटकर ऐसे कानून बनाने की ही आशा है जिससे यहाँ की मूलभूत समस्याएं दूर हो जाए।
श्रीमान कानून ही तो बनाने की आवश्यकता है डीएमसीएच के कुव्यवस्था के लिए,कानून ही तो नहीं बन रहा डीएमसीएच के एनआईसीयू में एक बच्चे के चूहे के कुतर कुतर कर काट के जान ले लेने जैसे घटनाओं को रोकने के लिए,कानून ही तो नहीं बन रहा दरभंगा में वर्षों से नियति बनकर जमे हुए जाम की समस्या को समाप्त करने के लिए,कानून ही तो नहीं बन रहा दरभंगा के गली गली में सड़े हुए कचरे और पानी से भरे हुए महामारी फैलाने को तैयार बजबजाती नालियों के लिए।
श्रीमान कानून ही तो नहीं बन रहा है कि दरभंगा जिला के घनश्यामपुर प्रखंड अलीनगर प्रखंड किरतपुर प्रखंड मनीगाछी प्रखंड,तारडीह प्रखंड,कुशेश्वरस्थान पश्चिमि प्रखंड कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड बहादुरपुर प्रखंड हायाघाट प्रखंड हनुमाननगर प्रखंड इन सभी प्रखंडों में से किसी भी प्रखंड में एक भी संपूर्ण डिग्री कॉलेज नहीं है इन चीजों पर। कोई तो बनाए कानून जरा इन चीजों पर भी।
श्रीमान कानून ही तो नहीं बन रहा है उन किसानों के प्रोत्साहन के लिए जो आज किसानी छोड़ने के कगार पर हैं। कानून ही तो नहीं बन रहा है कि कैसे बाढ़ का स्थाई समाधान हो,कैसे सुखाड़ का स्थाई समाधान हो,कैसे गाँव-गाँव स्टेट बोर्डिंग लगवाया जाए,कैसे सिंचाई का समुचित व्यवस्था हो,कैसे उनको खाद बीज उचित मूल्य पर आसानी से उपलब्ध हो। कोई तो बना दे हमारे यहाँ के किसानों के कल्याण के लिए कानून और कर दे उसका क्रियान्वयन क्यों नहीं हो रहा है ऐसा?
महाशय यदि कोई कानून किसी क्षेत्र के सामान्य लोगों के जीवन स्तर में कोई परिवर्तन नहीं कर सकता, उनके पलायन को नहीं रोक सकता,उनके रोजगार का व्यवस्था नहीं कर सकता,उनके स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं कर सकता,उनके लिए डिग्री कॉलेज का व्यवस्था नहीं कर सकता,उनके विश्वविद्यालय के हालात में परिवर्तन नहीं कर सकता,उनके कॉलेजों में प्रोफेसर की बहाली नहीं कर सकता,उनके यहां उद्योग धंधा नहीं लगवा सकता क्या मतलब है उस कानून का?
नहीं चाहिए हमें ऐसा कानून और ऐसा कानून बनाने वाले लोग!
नहीं चाहिए हमें ऐसा कानून और ऐसा कानून बनाने वाले लोग!
श्रीमान आपस में आरोप-प्रत्यारोप और एक दूसरे पर जिम्मेदारी फेंकने से बाहर निकलिए। वह दिन दुनिया समाप्त हो चुका है हम मिथिलावादी मिथिला स्टूडेंट यूनियन के लोग हैं जो अब आप लोगों से प्रश्न और हिसाब पूछेंगे इन्हीं चीजों पर जिसका शुरुआत आज एक गाँव से हुआ है। आपको इसी प्रकार के प्रश्न के साथ मिथिलावादियों का फौज हर गांव के हर मोहल्लों गांव के हर मोहल्लों में हर मोड़ पर खड़ा मिलेगा।
इन प्रश्नों का जवाब ढूंढ कर रखिए यह सभी प्रश्न पूछे जाएंगे प्रश्न पूछे जाएंगे हर एक सांसद-विधायक से और चुनाव में वोट मांगने के लिए आने वाले हर एक दल के प्रतिनिधि से फिलहाल अभी के लिए इतना ही ।
इन प्रश्नों का जवाब ढूंढ कर रखिए यह सभी प्रश्न पूछे जाएंगे प्रश्न पूछे जाएंगे हर एक सांसद-विधायक से और चुनाव में वोट मांगने के लिए आने वाले हर एक दल के प्रतिनिधि से फिलहाल अभी के लिए इतना ही ।
जय मिथिला
जय जय मिथिला
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